कोई तो मजबूरी रही होगी….वरना मां ऐसी निर्दयी नहीं होती… झाड़ियों में फेंके नवजात बालक के जीवनरक्षक बने इंस्पेक्टर हरेन्द्र सिंह
बिसौली। धरती ही नहीं बल्कि समूचे ब्रह्मांड में मां शब्द तन और मन को अविश्वसनीय, अकल्पनीय स्फूर्ति प्रदान करता है। लेकिन वही मातृशक्ति जब कोख से जन्मे ह्रदय के टुकड़े को आंचल में छुपाने की बजाए झाड़ियों में फेंकने को मजबूर हो जाए तो समाज उसी मां को कोसने लगता है। सच मानिए उस वक्त सारी कायनात रो पड़ती है उस बेबस मां के साथ। अंधा समाज अबला नारी पर तो तमाम आरोप प्रत्यारोप लगाने को तैयार हो जाता है लेकिन उसकी लाचारी पर तरस नहीं खाता।
मंगलवार तड़के बिसौली कोतवाली क्षेत्र के गांव बंजरिया के निकट झाड़ियों में नवजात बालक के मिलने से सनसनी फैल गई। सूचना पर इंस्पेक्टर हरेन्द्र सिंह दलबल के साथ मौके पर पहुंच गये। कोतवाल ने घायल नवजात को तत्काल अस्पताल भिजवाया। लगातार मौके पर रहकर उन्होंने नवजात का उपचार कराया। बाद में बेहतर देखभाल हेतु उसे जिला चिकित्सालय भेज दिया गया।